सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन पर पुलिस कार्यवाही पर लगायी रोक, SC ने केस लिया अपने हाथ में।

Yash Patel
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सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन पर पुलिस कार्यवाही पर लगायी रोक, SC ने केस लिया अपने हाथ में।

तमिलनाडु के कोयंबटूर से नजदीक स्थित ईशा फाउंडेशन जिसके संस्थापक जगदीश वासुदेव जिनको आज लोग सद्गुरु के नाम से भी जानते हे। इस फाउंडेशन पर एक रिटार्यड प्रोफ़ेसर ने मद्रास हाईकोर्ट में केस दर्ज किया था जिसके तहत पुलिस का काफिला ईशा फॉउंडेशन में तलाशी लेने गया था।

एक रिटार्यड प्रोफ़ेसर द्वारा केस किया गया था की उनकी दो बेटिओ को बहेला फुसला के सद्गुरु के आश्रम में सन्यासी बना दिया गया हे और उनका ब्रेन वाश करके परिवार से अलग कर दिया गया हे। इस आर्ग्युमेंट के आधार पर मद्रास हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया था की ईशा फाउंडेशन की जाँच की जाये और रिपोर्ट कोर्ट में दी जाये मद्रास हाईकोर्ट का आदेश मिलते ही करीब 150 पुलिस कर्मी ईशा फाउंडेशन में अचानक से तलाशी करने पहुंच गए।

आध्यात्मिक गुरु के रूप में प्रसिद्ध जिनके आज भारत और विश्वभर में लाखो फॉलोवर्स हे उनके फाउंडेशन पर आरोप लगाया गया की उन फाउंडेशन में लड़कियों का ब्रेन वाश करके उनको परिवार से अलग कर दिया जाट हे और उन्हें सन्यासी बना दिया जाता हे। सद्गुरु ने अपने एक इंटरव्यू कहा था की वह सभी को सन्यासी नहीं बनाते उनके पास हजारो आवेदन आते ही सन्यासी बनने के लिए लेकिन उनकी टीम 1000 में से सिर्फ 8 से 10 लोगो को ही सन्यासी बनाते जिनके पास वो क्षमता हो।

इनके बिच में ईशा फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जिसमे सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने मद्रास हाईकोर्ट द्वारा दिए गए सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन पर पुलिस कार्यवाही पर लगायी रोक। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने उन महिलाओ से भी बातचीत की जिनके पिता ने यह आरोप लगे था और दोनों महिलाओ ने सुप्रीम कोर्ट में कहा की हम अपनी मर्जी से आश्रम में रहते हे और हमारे साथ कोई जोर जबरदस्ती नहीं की गयी हे। यह बाद सुप्रीम कोर्ट ने जाँच के आधेस पर रोक लगायी और ईशा फाउंडेशन का यह केस अपने यहाँ ट्रांसफर किया और साथ में पुलिस को यह आदेश भी दिया की साडी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सब्मिट की जाये और हाईकोर्ट में कोई भी रिपोर्ट न दी जाये।

जिन दोनों महिला के पिता ने यह केस किया था उन्ही दो महिलाओ के वीडियो भी वायरल हो रहे हे जिसमे वह दोनों कह रही हे की उन्होंने अपनी मर्जी से आश्रम में रहना और संन्यास लिया हे उनके साथ कोई जबरदस्ती नहीं की गयी हे।

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